ज़िंदगी का सफर - 💞हमसफ़र के साथ💞 "भाग 9"
किआरा की बात सुन सुमित्रा जी इवान को देखती है जो सोफे पर बैठा हुआ लैपटॉप पर काम कर रहा था लेकिन किआरा की बात सुनकर लैपटॉप बंद करके वन्या ओर उत्कर्ष के पास आकर उन दोनो को खिलाने लगा, सुमित्रा जी फिर किआरा से बोली
सुमित्रा जी :- बेटा इसकी परमिशन तो तुम्हे इवान से लेनी होगी मैं इसमे कुछ नहीं कह सकती, क्युकी वो उन दोनो के बिना एक पल भी नहीं रह सकता है
इतना बोलकर सुमित्रा जी चली गई तो किआरा इवान की तरफ देखने लगी, किआरा कुछ बोलती उससे पहले ही इवान वहा से उठकर बाहर चला गया किआरा को लगा की इवान उससे नाराज हो गया है तो वो भी उदास हो गई और मन में सोचने लगी ( मैं उदास क्यू हो रही हु वैसे भी कोई भी इंसान इतनी जल्दी किसी पर विश्वास नहीं कर पाता, अगर मैं भी उनकी जगह होती तो साफ इंकार कर देती फिर तो उनका ऐसे रियेक्ट करना स्वाभाविक है )
इतना सोचते हुए किआरा दोनो बच्चों का चेहरा गीले टॉवल से साफ करके दोनो को लोरी गाते हुए सुलाने लगी
" यशोदा का नंदलाला ब्रिज का उजाला है
मेरे लाल से तो सारा जग झिलमिलाये
यशोदा का नंदलाला ब्रिज का उजाला है
मेरे लाल से तो सारा जग झिलमिलाए
यशोदा का नंदलाला ब्रिज का उजाला है
मेरे लाल से तो सारा जग झिलमिलाये
रात ठंडी हवा गाके सुले
भोर गुलाबी पालके चुम के जगे
यशोदा का नंदलाला ब्रिज का उजाला है
मेरे लाल से तो सारा जग झिलमिलाए "
इवान जो रूम के बाहर खड़ा था उसने हलके खुले दरबाजे से अंदर किआरा को अपने बच्चो का इतना ध्यान रखते देखा ।
सुमित्रा जी जो अपने रूम में जा रही थी उन्होंने इवान को ऐसे देखा तो वो उसके पास आई ओर अंदर किआरा को बच्चों को सुलाते हुए देखने लगी, फिर इवान के कंधे पर हाथ रखतें हुए बोली
सुमित्रा जी :- बेटा एक बार किआरा को मौका देकर देखो, देखना वो यशोदा माँ जैसी माँ बनकर दिखाएगी, अगर आज तुम उसपर भरोसा करके बच्चों को उसके साथ भेजोगे तो तुम्हे कोई अफ़सोस नहीं होगा, मैं जानती हु की तुमने आजतक बच्चों को खुदसे कभी दूर नहीं किया लेकिन अगर तुम चाहते हो की किआरा ओर बच्चों के बीच बॉन्डिंग बने तो उन्हे एक साथ टाइम स्पेंड करने दो, ओर तुम भी किआरा को समझने की कोशिश करो बेटा, उसे कभी माँ का प्यार नसीब नहीं हुआ, उसकी भी सौतेली माँ है इसलिए वो जानती है की एक माँ के प्यार के बिना बच्चों की लाइफ क्या होती है, वो कभी वन्या ओर उत्कर्ष को माँ के प्यार की कमी नहीं होने देगी
इवान ने कुछ देर सोचा फिर वहा से अपने स्टडी रूम में चला गया और ऑफिस का जो काम इतने दिनों का पेंडिंग पड़ा हुआ था वो करने लगा, क्योकि शादी के कारण उसका घर से निकलना मना था इसलिए इतना सारा काम पड़ गया था, ऊपर से आज संडे था ।
सुमित्रा जी भी भगवान जी से मन ही मन प्रार्थना करते हुए वापस अपने रूम में चली गई ।
शाम को किआरा का भाई दर्श ( दर्श किआरा से 1 साल छोटा था, दर्श भले ही किआरा का सौतेला भाई था लेकिन वो उसे अपने भाई जैसे प्यार करती थी और दर्श भी उसे अपनी बड़ी बहन मानता था ) आया तो किआरा अपने रूम में चली गई तैयार होने, जब वो तैयार होकर नीचे आने लगी तभी इवान रूम में आया और बोला
इवान :- आपकी पैकिंग हो गई ?
किआरा :- जी हो गई
इवान :- कब आएगी आप वहां से ?
किआरा ( हैरानी से ) :- क्यू, मतलब आप क्यू......
किआरा को समझ ना आया की इवान उससे उसके आने के बारे में क्यू पूछना चाह रहा था
इवान :- वो में इसलिए पूछ रहा था क्युकी में बच्चों से ज्यादा दिन दूर नहीं रह पाऊंगा
किआरा इवान की बात सुनकर हैरानी से उसकी तरफ देखती है तो इवान दोनो बच्चों के पास बैठकर उनकी तरसफ देखते हुए बोलता है
इवान :- जी आप वन्या और उत्कर्ष को अपने साथ ले जा सकती है लेकिन मैं बच्चों से कभी दूर नहीं हुआ हु तो मुझे उनकी याद तो आएगी लेकिन....... मैं आप पर भरोसा करके वन्या और उत्कर्ष को आपके साथ भेज रहा हु तो प्लीज आप इनका ध्यान रखियेगा, ये ना रात में बीच बीच में रोते भी है तो आप उन्हे लोरी सुना दीजियेगा, और हा दोनो को गोद में लेकर सुलाइयेगा क्युकी दोनो बहुत नटखट है अगर इन्हे ऐसे ना सुलाओ तो सोते ही नहीं है बल्कि दोनो साथ मिलकर रोने का कॉम्पिशन करने लगते है, और........
इवान आगे कुछ बोलता उससे पहले ही किआरा इवान के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए बोली
किआरा :- आप शांत हो जाइये और आप चिंता मत कीजिये मैं इन दोनो को आपसे ज्यादा दिन दूर नहीं रखूंगी कल शाम को ही हम आ जायेंगे, और आप वन्या और उत्कर्ष की भी चिंता मत कीजिये मैं इनका पुरा ख्याल रखूंगी और आपको एक भी शिकायत का मौका नहीं दूंगी, और थैंक्यू मुझपर विश्वास करने के लिए देखिएगा मैं आपके इस भरोसे को कभी नहीं टूटने दूंगी
किआरा इतना बोलकर चुप हो गई और इवान की तरफ देखने लगी उसे इवान की बात सुनकर समझ आ गया था की वन्या और उत्कर्ष इवान की जान है उन्हे कुछ हुआ तो दर्द और तकलीफ इवान को होगी, उसने मन ही मन सोचा ( इवान जी मैं आज आपसे प्रॉमिस करती हु की मैं वन्या और उत्कर्ष को कुछ नही होने दूंगी, उनपर अगर कभी प्रॉब्लम आई तो सबसे पहले उसे मुझसे गुजरना होगा, आपकी जान इन दोनो मैं बस्ती है और अब ये दोनो मेरे लिए भी मेरी जान से ज्यादा कीमती है )
इवान ने अपनी आँखों में आई नमी को पोंछने के लिए अपना हाथ उठाने की कोशिश की तो उसपर किआरा का हाथ होने के कारण उठा नहीं पाया, उसने किआरा की तरफ देखकर धीरे से कहा
इवान :- किआरा जी मेरा हाथ
किआरा ने हड़बड़ा कर जल्दी से इवान के हाथ के ऊपर से अपना हाथ हटाया और धीरे से अटकते हुए बोली
किआरा :- सो..... सॉरी मु.... मुझे.....
इवान ( किआरा को बीच में ही रोकते हुए ) :- इट्स ओके, लाइये मैं आपकी हेल्प करवा देता हु, आप इन्हे तैयार कर दीजिये मैं इनके कपड़े और जरूरी चीजे पैक कर देता हू
किआरा ने हाँ में सर हिलाया और वन्या और उत्कर्ष को तैयार करने लगी तो इवान ने एक बेग में दोनो बच्चों की जरूरत का सारा सामान पैक कर दिया और दोनो नीचे आ गये ।
सुमित्रा जी ने बच्चों के सामान को देखा तो मुस्कुरा दी की इवान ने किआरा को परमिशन दे दी, थोड़ी देर बैठने के बाद किआरा, वन्या और उत्कर्ष को लेकर दर्श के साथ चली गई तो इवान भी अपने रूम में आ गया और बच्चों की याद ना आये इसलिए काम में व्यस्त हो गया
To be continued.................
Miss Chouhan
11-Nov-2022 11:18 AM
Nice story 😊😊😊
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Abeer
17-Oct-2022 12:33 PM
Nice post
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Gunjan Kamal
15-Oct-2022 03:46 PM
शानदार
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